ओह्म के नियम की पुष्टि
या
लक्ष्य:
ओह्म के नियम की पुष्टि।
ओह्म के नियम का कथन:
ओह्म का नियम कथन करता है कि स्थिर तापमान पर, दो बिन्दुओं के बीच एक सुचालक से गुज़रने वाला करंट 'I' उन दो बिन्दुओं के
बीच विभवांतर 'V' के सीधे अनुपात में होता है। अर्थात,
अतः अनुपात V : I स्थिर होता है। इस स्थिरांक को सुचालक का प्रतिरोध (R) कहा जाता है।
ग्राफ़:
प्रयोग के अंतर्गत V और I की अलग-अलग रीडिंग लेने और दर्ज़ करने के बाद यदि हम करंट को ग्राफ़ की x-धुरि पर खींचेंगे और
वोल्टेज को ग्राफ़ की y-धुरि पर, तो हमें एक सरल रेखा मिलेगी। सरल रेखा के इस ग्राफ़ का झुकाव, सुचालक के प्रतिरोध (R) से
जुड़ा होता है।
सम्बन्धित सिद्धांत:
प्रतिरोध:
● प्रतिरोध किसी वस्तु का गुण होता है जो विद्युत करंट के बहाव को सीमित करता है। वस्तु के दोनों ओर मौज़ूद वोल्टेज
करंट को प्रवाहित करता है जिसमें ऊर्जा का उपयोग होता है और यह ऊर्जा वस्तु में ऊष्मा के रूप में उभरती है।
● प्रतिरोध को ओह्म्स में मापा जाता है, ओह्म का चिन्ह ओमेगा (Ω) है।
श्रेणी में जुड़े हुए प्रतिरोधक:
जब प्रतिरोधक श्रेणी में जुड़े होते हैं तो उनका संयुक्त प्रतिरोध प्रत्येक प्रतिरोध के कुल योग के बराबर होता है। उदाहरण के
लिए यदि प्रतिरोधक R1 एवं R2 श्रेणी में जुड़े हों तो उनका सन्युक्त प्रतिरोध, R, होगा:
समांतर में जुड़े हुए प्रतिरोधक:
जब प्रतिरोधक समांतर में जुड़े होते हैं तो उनका संयुक्त प्रतिरोध किसी भी एक प्रतिरोध से कम होता है। समांतर में जुड़े 2
प्रतिरोधकों R1 एवं R2 के संयुक्त प्रतिरोध R का सूत्र होता है: